Maldives China Military Agreement: मालदीव,चीन के साथ कर रहा समझौता, मुइज्‍जू भारतीय सैनिकों को बाहर निकाल रहे हैं, क्या है लक्ष्य ?

Maldives China Military Agreement

Maldives China Military Agreement

माले: मालदीव-भारत संबंधों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। भारतीय सैनिकों की जगह लेने के लिए भारत की सिविलियन टीम मालदीव गई है। 10 मार्च को भारत के 85 सैनिकों को जाने का आदेश देने के बाद मालदीव की सरकार ने अब चीन के साथ दो गुप्त सैन्य समझौते किए हैं। चीन और मालदीव के रक्षा संबंधों में इन समझौतों का एक नया दौर शुरू होगा। मालदीव के रक्षा मंत्री घसान मौमून और चीनी सेना के मेजर जनरल झांग बाओकून ने इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

मालदीव की मीडिया ने बताया कि ये समझौते गुप्त हैं और किसी को भी नहीं बताए जा रहे हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम् मद मुइज्‍जू ने पहले ही निगरानी तंत्र की घोषणा की थी। मालदीव के राष्ट्रपति ने लक्षद्वीप विवाद और चीन दौरे के बाद से भारत को घृणा करते रहे हैं और कई ऐसे कदम उठाए हैं जो भारत को खतरा पैदा कर सकते हैं। भारतीय सैनिकों के जाने के बाद भी देश की “हार” नहीं हुई,

भारत और मालदीव के बीच हुआ समझौता क्या है?

2 फरवरी को दोनों देशों ने निर्णय लिया कि भारत मार्च और मई के बीच मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा। 8 फरवरी को रणधीर जायसवाल, भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता, ने कहा कि वर्तमान सैन्य कर्मियों को सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों द्वारा बदला जाएगा।वे द्वीपीय देश मालदीव में एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर का संचालन जारी रखेंगे। यह भारत और मालदीव के अधिकारियों के बीच 2 फरवरी को नई दिल्ली में हुई उच्च-स्तरीय कोर समूह की दूसरी बैठक का मुख्य निष्कर्ष था।

मुइज्‍जू की ‘जीत’ भारत की हार नहीं है

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्‍जू ने भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी को ‘इंडिया आउट’ के नारे पर सत्ता हासिल करने के बाद विश् लेषकों का कहना है कि इसमें भारत की हार नहीं है। इसकी वजह यह है कि चीन के दबाव के बावजूद भारत का तकनीकी दल वहां रहेगा और एक नया हेलिकॉप्टर मालदीव पहुंच गया है। भारत इससे मालदीव के लोगों की मदद करता रहेगा, जो उनके जीवन की जरूरत है। यही कारण है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और इंडिया आउट के संस्थापक यामीन ने मुइज्‍जू के निर्णय की आलोचना की है।

माना जाता है कि चीन मालदीव में एक बड़ा रेडॉर लगा सकता है, जो भारत के हर युद्धपोत को देख सकेगा। मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस समझौते में प्रावधान है कि चीन मालदीव को सेना मुफ्त में दे सकता है। मालदीव ने चीन के साथ इन समझौते की कोई भी जानकारी खुद जनता से नहीं दी है। मालदीव की मीडिया भी इससे ड्रैगन की योजना पर सवाल उठाती है। मालदीव में सत् तारूढ़ मुइज्‍जू की पार्टी ने हमेशा से चीन से करीबी संबंध बनाए रखे हैं। तुर्की, अमेरिका और अन्य देशों से हथियार मांग रहे मुइज्‍जू,(Maldives)

मालदीव सीमा की सुरक्षा पर जोर

शनिवार को मुइज्जू ने रा एटोल मीधू में स्थानीय लोगों से बात करते हुए कहा कि समुद्र मालदीव की पूरी जमीन से दोगुना बड़ा है। उन्होंने कहा कि मालदीव अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र को नियंत्रित नहीं कर पाया है, हालांकि देश का क्षेत्र बहुत बड़ा है। उनका कहना था, “हालांकि ईईजेड (एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन) हमारे क्षेत्र का हिस्सा है, लेकिन हमारे पास क्षेत्र की निगरानी करने की क्षमता नहीं है।” हालाँकि, मछली पकड़ने जैसे उद्योगों को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को इस क्षेत्र में बढ़ाया जा सकता है।”

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